Kahani - विकसित होना है तो संघर्ष करो | short story Hindi
एक किसान था वो बहुत दयालु था वह हमेशा जरूरतमंदों की मदद करता। एक बार किसान अपने खेतों में काम कर रहा था तब उसे एक तितली का कोकून मिला। किसान उसे अपने घर लेकर आया और एक अच्छी सुरक्षित जगह पर रखकर उसे देखने लगा।
थोड़ी देर बाद उस कोकून में एक छोटा सा छेद हुआ जिसमें से एक तितली बाहर आने के लिए बहुत संघर्ष करने लगी। किसान वहीं पर बैठकर यह सारा दृश्य देखने लगा। घंटो तक बहुत संघर्ष करने के बाद भी जब तितली उस कोकून को तोड़ने में असफल रही तो किसान को उस पर दया आ गई। किसान ने एक छोटी कैंची ली और कोकून का छेद को काटकर बड़ा कर दिया।
अब कोकून का छेद इतना बड़ा हो गया कि तितली बड़ी आसानी से उससे बाहर निकल आई । तितली को बाहर आता देख किसान भी खुश हुआ और अब किसान तितली के उड़ने का किसान इंतजार करने लगा। तितली बाहर आई तब उसके पंख बहुत छोटे और सिकुड़े हुए थे और उसका शरीर भी सूजा हुआ था। छोटे पंख और सूजा हुआ शरीर होने की वजह से वो कभी भी उड़ ही नहीं पाई।
बड़ा हृदय और दयालु स्वभाव वाला किसान यह समझ ही नहीं पाया की तितली के लिए कोकून से निकलने का संघर्ष ही उसे अपने आने वाली जिंदगी में उड़ने के काबिल बनाता है।
इस कहानी से हमने क्या सीखा?
दोस्तों यह कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में आने वाली कठिनाइयां और संघर्ष ही हमें मजबूत और विकसित बनाती है। इसीलिए हमें समस्याओं का सामना स्वयं ही करना चाहिए। दूसरों पर निर्भर नहीं होना चाहिए।
कहानी का वीडियो
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