देवरानी जेठानी की कहानी | Parivarik Kahani


सुनैना और सुरेखा यह दोनों देवरानी जेठानी थी।  जेठानी सुनैना नौकरी भी करती थी और  देवरानी सुरेखा यह घर संभालती । उनका परिवार बहुत बड़ा था। सास ससुर और उन दोनों के बच्चे  कुल मिलाकर 10 लोग घर में रहते और अब बहुत साल बाद उनकी बुआ सास अपने भाई के घर रहने आई थी। 


देवरानी जेठानी की कहानी | parivarik kahani


सुबह उठने के बाद बुआ सास ने देखा कि सुनैना फटाफट अपने काम कर रही थी। सुरेखा ने नाश्ता बनाया और वह नाश्ता सुनैना ने सबको परोसा। उसके बाद सुनैना ने अपना टिफिन पैक किया और वह काम पर निकल गई। सुरेखा ने वापस दोपहर का  खाना तैयार किया और थोड़ा वक्त अपनी सास और बुआ सास के साथ बैठी रही। 



बुआ सास से रहा नहीं गया । उन्होंने सुरेखा को पूछा छोटी बहू तुम्हारी जिठानी तुझ पर बहुत हुकुम चलाती है। सुबह से देख रही हूं रसोई घर में अकेले ही काम करती हो और वह महारानी दिखावा करने के लिए  नाश्ता परोस रही थी। जैसे कि उसीने हि नाश्ता बनाया हो। यह सुनने के बाद सुरेखा ने बुआ सास के तरफ देखा और बोली, बुआ सास जी ऐसा कुछ नहीं  है। सुनैना दीदी बहुत अच्छी है।


 बुआ सास बोली तुम बहुत भोली हो सुरेखा। मुझे सब समझ में आता है मेरे बाल धुप से सफेद नहीं हुए हैं। सुरेखा से अब नहीं रहा गया। वह बोली ऐसा नहीं है बुआ जी आपको सुनेना दीदी ने सब को नाश्ता परोसा वह दिखा,पर आपको यह नहीं दिखा,कि दीदी ने मुझे जबरदस्ती सबसे पहले नाश्ता करने दिया और चाय भी दी! वह रोज मुझे ऐसे सबसे पहले ही नाश्ता दे देती है! नहीं तो सबके लिए नाश्ता करते करते मैं खुद के लिए नाश्ता बनाना भूल जाऊंगी। दीदी मेरी कितनी चिंता करती है।दीदी सुबह जल्दी उठकर मंदिर साफ करती है,फुल सजाकर रखती है और मुझे उनके एक घंटे बाद उठने के लिए कहती है। 


शाम को आते समय बाजार से सब्जी भी लेकर आती। क्योंकि हमारे मिस्टर  रात को देर से आते हैं और मम्मी जी को सुनैना दीदी ने बाजार में जाने को मना किया है, क्योंकि अब उनकी उम्र 60 साल से ज्यादा हो गई है। बाजार में जाते समय उनको तकलीफ होगी।उनके पैर बहुत दुखेंगे कभी उनको बाहर घूमने का मन हुआ तो सुनैना  दीदी छुट्टी लेकर उनको घुमाने ले जाती है और हां  बुआ जी दीदी रोज शाम को आने के बाद वह कितनी भी थकी हो तब भी मुझे खाना बनाने में मदद करती है। वह मेरी बड़ी जेठानी जरूर है पर मुझे अपनी छोटी बहन ही समझती है और मैं उनको अपनी बड़ी बहन समझती हु।


 यह सब सुनकर बुआ सास एकदम चुप हो गई। उनकी चुगली सुरेखा के आगे टिक नहीं पायी। शाम को सुनैना सब्जी की थैली सुरेखा के पास देते हुए बोली,सब्जी के साथ तुम्हारे मनपसंद लेखक की किताब भी उसमें है। यह सुनकर सुरेखा खुश हो गई। सुनैना को थैंक यू बोल कर सब्जी की थैली किचन में रखकर वह अपने रूम में चली गई।


 उतने में बुआ ने सुनैना को आवाज दी। बड़ी बहू जरा यह आना वह बोली सुनैना तू इतनी मेहनत करके पैसे कमाती है और ऐसे फालतू में किताब खरीदी करके मुफ्त का खर्चा करती हो, वह भी अपनी छोटी देवरानी के लिए? वह ऐसे भी घर में बैठकर करती क्या है? तुम दिन भर मेहनत करती हो और वह घर में आराम करती है।


इस पर सुनैना हंसकर बोली, क्या बुआ जी आराम और सुरेखा! उसे तो कहने पर भी वह आराम करती नहीं। सुबह उठकर बेचारी काम करती रहती है। सबका मनपसंद खाना, मेरे और उसके मिलाकर 4 बच्चों का टिफिन सब वही तो करती हैऔर तब भी उसके चेहरे पर हमेशा आनंद दिखता है! सुबह की चाय पीने के लिए उसके पास वक्त नहीं रहता! दोपहर  को जब बच्चे घर आते हैं तो उनका खाना, होमवर्क सब वही देखती है। इसलिए मुझे बच्चों का टेंशन नहीं है और इसलिए ही मैं ऑफिस में मन लगाकर काम कर पाती हूं।


 कुछ दिन पहले ही मुझे प्रमोशन मिला है। इसके अलावा मम्मी जी और पापा जी की दवाइयां कभी खत्म हो गई और कभी लाने की हो तो वही ध्यान में रखती है। घर में कोई मेहमान आए तो उनकी मेहमान नवाजी भी वो वही करती है।  बुआ जी घर और बच्चे संभालना छोटी बात नहीं है। इतना सब सुनकर बुआ जी उनकी तो बोलती ही बंद हो गई। 


सुनैना कभी कोई शिकायत नहीं करती है वह सब काम कर लेती है। वह सिर्फ पढ़ना पसंद करती है। फिर मैं मेरी छोटी बहन के लिए इतना नहीं कर सकती? मैं नहीं करूंगी तो फिर कौन करेगा?इतना बोल कर सुनैना अपने रूम में चली गई।


 यह सब बोलना सुनैना की सास पीछे खड़े होकर सुन रही थी। वह बुआ के पास आई और बोली जीजी यह दोनों देवरानी जेठानी जरूर है लेकिन उनका रिश्ता दो सगी बहनों से ज्यादा पक्का है। मेरे घर की मजबूत दीवारें है यह दोनों। पहले मैं भी एक बुरी सास थी।हमेशा इन दोनों में झगड़ा लगाने का प्रयास करती थी। पर यह दोनों के प्यार के आगे मैं भी हार गई। वैसे भी झगड़ा लगाकर नुकसान तो हमारे हि घर का  होगा ना?


पर यह बात बुआ को समझ में नहीं आई। रुदन करते हुए कमरे से बाहर चली गई क्योंकि उन दोनों में झगड़ा लगाने के लिए ही वह आई थी। पर सुनैना और सुरेखा इनके जैसी दो समझदार देवरानी जिठानी के बीच झगड़ा करवाना बहुत मुश्किल था।

            

तो दोस्तों सुनैना  और सुरेखा इनकी  जैसे समझदार देवरानी जेठानी जिस घर में होंगे, उस घर  का कोई बुरा नहीं कर सकता। जिस घर में ऐसी बहुये होंगी वह घर स्वर्ग बन जाएगा। दोस्तो देवरानी जेठानी की सुंदर पारिवारिक कहानी आपको कैसी लगी? जरूर बताएं।


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