एक बूढ़े भिखारी अनोखी कहानी
हर दिन एक भिखारी दरवाजे के पास आकर भीख मांगता था। और घर का मालिक हमेशा घर के बाहर आते ही उसे देख कर फिर जाया करता कई बार उसके लिए गालियां भी बकता। वो कहता तू जिंदा ही क्यों है? पूरी जिंदगी ऐसे ही भीख मांगेगा क्या? धरती का बोझ क्यों बना बैठा है! और कभी-कभी उस भिखारी को गुस्से में वह धक्का भी मार दिया करता।
इतना कुछ हो जाने के बावजूद अधिकारी के मुंह से सिर्फ यही निकलता कि भगवान भगवान तुम्हारे पापों को माफ करे!
एक बार सेठ को धंधे में बड़ा नुकसान होने की खबर मिली। सेठ बहुत परेशान था कि तभी उसके दरवाजे पर वही भिखारी आया! गुस्से में अपना आपा खोते हुए सेठ ने उस भिखारी को पत्थर दे मारा! पत्थर लगने के कारण भिखारी का सर फूट गया और उसके सर से खून बहने लगा। फिर भी दर्द से कराहते हुए भिखारी ने इतना ही कहा भगवान तुम्हारे पापा को माफ करे!
भिकारी वहां से चला गया। सेठ सोच में पड़ गए भिखारी को पत्थर मारा फिर भी उसने सिर्फ प्रार्थना की। सेठ का गुस्सा शांत हुआ। शेर का मन शांत हुआ बिखारी का रहस्य जानने के लिए। सेठ ने भिखारी का पीछा करना शुरू कर दिया।
भिखारी जहां जहां जाता सेठ उसके पीछे जाता सेठ ने देखा कि कोई उसको खाना देता कोई उसको मारता कोई अपमानित करता तो कोई गाली देता। लोग भिखारी के साथ चाहे जैसा व्यवहार करते लेकिन भिखारी सबके लिए एक ही प्रार्थना करता, "भगवान तुम्हारे पाप माफ करें!"
अब रात होने को आई थी। भिखारी अपने घर जाने के लिए लौटा, वो अपने घर पहुंच गया। लेकिन सेठ अब भी उसका पीछा कर ही रहा था!
एक पुरानी टूटी हुई खटिया पर एक बूढ़ी औरत लेटी हुई थी काफी कमजोर और बीमार लग रही थी वह भिखारी की पत्नी थी। अपने पति को वापस आता देख वह खाट से उठ खड़ी हुई।
पत्नी ने अपने पति के भीख वाले कटोरे में देखा उसमें सिर्फ आधी बासी रोटी थी! उसे देखकर वह बोली आज बस इतना ही मिला? और हां आपके सिर से खून निकल रहा है ये चोट कैसे लगी?
बूढ़ा भिखारी बोला आज बस इतना ही मिला किसी ने कुछ दिया ही नहीं। सब ने गालियां दी और एक नए पत्थर भी फेकना इसीलिए मेरा सर फट गया।
एक गहरी ठंडी सांस लेकर बूढ़ा भिखारी फिर से बोला - यह मेरे ही पापों का फल है। तुम्हें याद है.. कुछ सालों पहले हम कितने अमीर थे! क्या कुछ नहीं था हमारे पास? हमारे पास हर चीज जरूरत से ज्यादा थी लेकिन हमने कभी दान नहीं किया!
और उससे भी बुरा हमने उस अंधे भिखारी के साथ किया जो हमारे द्वार पर भीख मांगने आया करता था। बूढ़ी पत्नी की आंखों में आंसू आ गए। वह बोली - हां,हम उस बेचारे अंधे के साथ बहुत बुरा करते थे। उसका अपमान करते थे। उसे खाने के लिए रोटी की जगह कागज दिया करते! उसका मजाक उड़ाया करते और कभी-कभी मारा भी करते!
मैंने कभी उसको रास्ता नहीं दिखाएं एक बार मैंने उसके मुंह पर मिट्टी भी फेंकी थी और वह हमेशा दुखी होकर यही कहता कि भगवान तुम्हें तुम्हारे किए की सजा देगा। भगवान तुम्हारे पापों की सजा जरूर देगा।
उसका श्राप सच हुआ और हम इस दुख भरी जिंदगी में आ गए! भिखारी बोला - हां उसका श्राप सच हुआ इसलिए मैं किसी को बददुआ नहीं देता। चाहे कोई मेरे साथ कैसा भी बर्ताव करें, मैं हमेशा उसके लिए प्रार्थना करता हूं! मैं नहीं चाहता कि कोई भी हमारे जैसे जिंदगी का अनुभव करें। किसी को भी हमारे जैसे दुखों का सामना करना पड़े! वो नहीं जानते कि वह कितना बड़ा पाप कर रहे है इसलिए अनजाने में हुए पाप की ऐसी सजा किसी को भी मिले मैं नहीं चाहता।
सेठ वहीं पर छुपकर यह सारी बातें सुन रहा था अब उसे सब कुछ समझ में आ गया था। भिखारी और उसकी पत्नी ने वह आधी रोटी मिल बांट कर खाएं और भगवान को धन्यवाद बोल कर सो गए।
अगले दिन बड़ा भिखारी फिर से भीख मांगने गया सेठ के घर के पास जाते हैं सेठ ने पहले से गरम रोटी या उसके लिए निकाल कर रखी थी उसे देते हुए सेठ विनम्रता से बोला माफ कर दीजिए बाबा उसे बहुत बड़ी गलती हो गई।
बूढ़ा भिकारी बोला भगवान तेरा भला करे इतना कहकर वह आगे निकल गया।
इस कहानी से जो सीख लेने लायक है वह बड़ी ही सिंपल है कि आदमी चाहे किसी के बारे में बुरा कहे या भला करें लेकिन भगवान सिर्फ कर्म के हिसाब से उसको फल देता है क्या हुआ अगर भगवान नहीं दिखता है लेकिन यह बात बिल्कुल सच है उसके खाते में सब का हिसाब बहुत बहुत पक्का होता है। इसलिए जब किसी के लिए कुछ भी करो तो अच्छा ही करो।
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Arman.ranaji
जवाब देंहटाएंKAHANI BAHUT ACHHI LAGI.
जवाब देंहटाएंMai emotional ho gaya Tha and rone laga
जवाब देंहटाएंMst thi kahani me bhi phle amir tha ab or ho gya hu Dan krke
जवाब देंहटाएंहमे भी
हटाएंKahani achchi lagi
जवाब देंहटाएंयह कहानी सचमुच ही एक बड़ी महत्वपूर्ण सिख देती है कि हमें दूसरों के साथ भलाई और समझदारी से व्यवहार करना चाहिए। हमारे कर्मों का फल हमें जरूर मिलता है, लेकिन हमें दूसरों के साथ दया, सहानुभूति और समझदारी से पेश आना चाहिए। किसी के साथ अनुचित व्यवहार करने से हम उनके दुखों का कारण बन सकते हैं, जिससे हमारे अपने कर्मों का भी असर पड़ सकता है।
जवाब देंहटाएंइस कहानी के माध्यम से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें गरीबी या संकट में भी दूसरों के साथ निरंतर सहानुभूति और मानवता दिखानी चाहिए। भिखारी ने अपने दुखों के बावजूद भी उस सेठ के लिए प्रार्थना किया, जो पहले उसके साथ बुरा व्यवहार करता था। यह दिखाता है कि उसने अपने दुखों के बावजूद भी दूसरों के परिश्रम की महत्वपूर्णता समझी और मानवता के मामूल्यतम मूल्यों को बनाए रखने की कोशिश की।
इस कहानी से हमें यह भी सिखने को मिलता है कि व्यक्तिगत बदलाव की आवश्यकता होने पर हम किस प्रकार से विचार कर सकते हैं और अपने कृत्यों को सुधार सकते हैं। सेठ ने अपने गुस्से को नियंत्रित किया और अपनी गलतियों की भी उपयोगी सीख ली, जिससे उसने अपने व्यवहार में सुधार किया और दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करना सीखा।
इस तरह की कहानियां हमें जीवन के महत्वपूर्ण मूल्यों और नैतिकता की महत्वपूर्णता को समझाती हैं, और हमें यह बताती हैं कि हमें दूसरों के साथ बेहतर संवाद और अच्छा व्यवहार कैसे करना चाहिए।
Very good
हटाएंveri fine
जवाब देंहटाएंYouTube par daal sakte he ?
जवाब देंहटाएंGarib log bhi insan hote hain. Unke saath aisa salook nahi karna chahiye. Bhagwan sab dekh raha hai. Jo kisi ka dil dukhata hai ek din use bhi bhugatna padta hai.
जवाब देंहटाएंEmotional hai
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