देखा देखी : मोरल कहानी | Kahani 


आज की मोरल कहानी सुनकर आपको बड़ा मजा आएगा। यह कहानी एक गांव में रहने वाले बनी है किसान और मोची के ईर्द गिर्द घूमती है।


देखा देखी : मोरल कहानी | Kahani


एक गांव में एक बनिया ने ₹100 एक किसान को इन्वेस्टमेंट के तौर पर दिए थे। यानी कि किसान को पैसों की जरूरत थी और यह बात जानने पर बनिए ने खुद सामने चल कर उसे ₹100 ऑफर किए थे और कहा था कि तुम इनसे जो भी अपने खेत में फसल उगाओगे उससे मुझे कुछ हिस्सा दे देना।


इसी गांव में रहने वाला चमार (चमड़े का काम करने वाला) किसी भी तरह अमीर बनने के सपने देखा करता था। चमार ने कई लोगों से पूछा और अलग-अलग तरीकों से जानने की कोशिश की कि आखिर अमीर बना कैसे जाता है? लेकिन कोई भी उसे संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया।


चमार हमेशा देखता था कि बनिया बड़े ठाठ बाट से जीता है। उसके पास वह सब कुछ है जो इंसान को चाहिए होता है यानी कि उसकी नजर में बनिया अमीर था। एक बार चमार के मन में विचार आया क्यों ना मैं बनिए के जैसा ही सब कुछ करूं(कॉपी) तो मैं भी उसके जैसा अमीर हो जाऊंगा।


उस दिन के बाद चमार ने बनिए पर नजर रखना शुरू कर दिया और वह देखता के बनिया कैसे अपनी दिनचर्या जीता है और क्या-क्या करता है। एक दिन बनिया तीर्थ पर निकल पड़ा उसके पीछे-पीछे नजर रखते हुए चमार भी निकल पड़ा।


तीर्थ पर नदी के पास बनिया ने एक लोटा पानी भरा और सूर्य को नमस्कार करते हुए वह एक संकल्प लेते हुए बोला कि इस वर्ष मैंने जो किसान को ₹100 दिया है मैं वह भगवान को अर्पण करता हूं ,यानी कि मैं अब वह उससे वापस नहीं मांगूंगा।


चमार यह सब देख रहा था उसे लगा कि यही गुप्त तरीका है जिससे बनिया इतना धनवान बन गया होगा। चमार के पास पैसे थे नहीं इसलिए वह वहीं पर बनिया से मिला और उसे बोला कि वह भी  यात्रा करने आया है और उसे ₹100 की सख्त जरूरत है इसलिए बनिया उसे ₹100 दे दे।


बनिया चमार को जानता था क्योंकि वह उसी के गांव का था फिर भी बनिया ने पूछा तुम्हें किस लिए यह सो रुपए चाहिए? चमार ने कारण नहीं बताया और बोला कि मुझे बहुत जरूरी काम है। आप बस मुझे पैसे दे दीजिए मैं जल्दी उन्हें वापस कर दूंगा।


बनिया ने चमार को ₹100 दे दिया और वहां से चला गया दुनिया के जाने के बाद चमार ने भी वही किया जो बनिया ने किया था यानी कि उसने एक लोटा पानी लिया सूर्य देव के आगे पानी अर्पण करते हुए वह बोला कि मैं बनिए से लिए ₹100 भगवान को अर्पण करता हूं। चमार खुश होते हुए और यह सोचते हुए कि वह भी बनिया की तरह जल्द ही अमीर हो जाएगा अपने घर लौट आया।


फसल कट गई और किसान जिसे बनिया ने ₹100 दिए थे उसे काफी फायदा हुआ इसलिए वह अपनी फसल का कुछ हिस्सा लेकर बनिए के घर आया। किसान बनिया से बोला आपका ₹100 का हिस्सा  इसमें से ले लीजिए अगर आप चाहो तो कुछ  ज्यादा भी ले सकते है।


बनिया किशन से बोला मैं यह नहीं ले सकता क्योंकि मैंने जो तुम्हें ₹100 दिए थे मैं भगवान के आगे संकल्प करके उनके नाम करके आया हूं इसलिए अब उन पर मेरा कोई हक नहीं है। किसान बोला लेकिन मैंने तो आपसे पैसे लिए हैं इसलिए मैं तो आपको जरूर वह वापस करूंगा। लेनदार होने के नाते यह मेरा फर्ज है।


बनिए ने किसान से कहा देखो इस हिस्से को मैं ले नही सकता और तुम देना चाहते हो तो एक तरीका है तुम इस हिस्से को किसी गरीब को दे दो या अपने रिश्तेदारों को दे दो ऐसा करने से तुम्हारा फर्ज भी अदा हो जाएगा और मेरा संकल्प भी नही टूटेगा। यह सब होते हुए सांस ली में चमार भी देख रहा था।


किसान के जाने के बाद बनिए की नजर चमार पर पड़ी। उसे देखते ही बनिया बोला क्यों भाई मेरे ₹100 वापस नहीं करने है कया?


चमार बोला कैसे वापस करू? मैंने वह ₹100 भगवान को संकल्प करके उनके नाम कर दीए है, बिल्कुल आप ही की तरह!


चमार की बात सुनकर बनिया हंसने लगा और बोला कैसी मूर्खो जैसी बात कर रहे हो? पैसे वह अर्पण किए जाते हैं जो किसी को दिए हो, वह नहीं जो किसी से लिए हो। किसी से लिए पैसे वापस समय पर दे देना यह लेने वाले की जिम्मेदारी होती है इसलिए तुम मुझे मेरे ₹100 वापस दे दो वरना मैं उसे जोर-जबर्दस्ती करके भी ले सकता हूं। फिर क्या था चमार करने गया था नकल लेकिन अपना नुकसान करवा बैठा।


आज की यह कहानी हमें सिखाती है कि हम दूसरों के काम को सिर्फ दूर से देख कर सफल नहीं हो सकते। बिना पूरी जानकारी अगर हम उनके नकल करने की कोशिश करते हैं तो गलतियां होती है और नुकसान भी। इसलिए कोई भी काम या  रास्ता बिना जांचे परखे अपनाना नहीं चाहिए।


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