मैंने हाल ही में मुझे अपमानित करनेवाली शादी तोड़ी है।


कहानी : मैं उस दिन से बदल गई


 एक दिन एक बेहस के दौरान, जब मेरे पूर्व पति ने मुझे थप्पड़ मारा और मुझ पर अपना गुस्सा निकालकर वह टीवी देखने चला गया।  जैसे उसके लिए कुछ हुआ ही न हो!


 मेरा छोटा सा 4 साल का मासूम बेटा, मेरे ठीक बगल में बैठा ये सारा ड्रामा देख रहा था।  वह  हैरान, परेशान और असमंजस में था।  मैं भी सदमे से बाहर आने की कोशिश ही कर रही थी जो अभी हुआ था।



 मैं अपने बेटे की ओर मुड़ी और उसे अपनी आंखों को पोंछते हुए देखा।


 मैंने उससे पूछा, “क्या हुआ बेबी?  क्या आप रो रहे हैं?"


 उसने जवाब दिया, "नहीं मम्मी, मेरी आंख में कुछ चला गया है और मैं उसे निकालने की कोशिश कर रहा हूं।"


 लेकिन मैं जानती थी कि वह झूठ बोल रहा है।  वह नहीं चाहता था कि मैं और अधिक परेशान हो जाऊं।


 कुछ देर बाद हमारी(मेरी और मेरे बेटे की) इस पर बातचीत हुई।  फिर उसने रोने की बात कबूल कर ली।


 कल्पना कीजिए कि एक 4 साल का बच्चा अपनी माँ को और अधिक दुःख से बचाने के लिए उससे झूठ बोलता है।


 उस दिन मेरे अंदर कुछ बदलाव आया। मुझे एहसास हुआ कि यह दुर्व्यवहार न केवल मेरे लिए, बल्कि मेरे बेटे के लिए भी बुरा है।


 उस समय तक मैं अपने पति की हर आज्ञा मानने वाली भोली-भाली लड़की थी।  उसने थप्पड़ मारा, गालियां दीं, मुझे बहुत गंदे शब्द कहे, लेकिन फिर भी मैं अपने बेटे के लिए उसे माफ करती आई।


 लेकिन आज मुझे एहसास हुआ की जिसके लिए मैं बलिदान दे रही हूं, उसे ही सजा, दुख और मानसिक यातना झेलनी पड़ रही है।'  क्या मैं उसे वह जीवन देने के लिए जिम्मेदार नहीं हूं जिसका वह हकदार है?


 यही वह दिन था जब मेरे अंदर कुछ बदलाव आया।


 नरम और अनुभवहीन होने के बजाय, मैंने मजबूत और साहसी बनना चुना।


 इस घटना के एक महीने बाद, मैं अपने बच्चे के साथ अलग हो गई।


ये कहानी मुंबई में रहनेवाली पूजा पंडित जी की है और इसका क्रेडिट उन्ही को जाता है। धन्यवाद!

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