बूढ़े दोस्त की दिल छू लेनेवाली कहानी |Motivational Story of an old friend


 मेरा एक दोस्त है मेरी उम्र से काफी बडा। उसकी उम्र अब 80 से ज्यादा हो गई है। एक बार मैंने उससे पूछा - 80 साल के लंबे जीवन सफर के बाद वो अपने आप में किस प्रकार का परिवर्तन महसूस करता है? 


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 उसने मुझे जवाब दिया जो बड़ा ही दिलचस्प और आंखे खोलने वाला था। आप भी पढ़िए...


सबसे पहला परिवर्तन ये है कि अपने माता-पिता, भाई-बहन, बीवी, बच्चों, अपने दोस्तों से प्यार करने के बाद अब मैं खुद से प्यार करने लगा हूं।


 मुझे बस एहसास हुआ कि मैं "भगवान" नहीं हूं।  दुनिया मेरे कंधों पर नहीं टिकी है।


 मैंने लोगों के गलत होने पर भी उन्हें सुधारना या सुधारने की कोशिश करना छोड़ दिया है। क्योंकि में समझ गया हूं सभी को परफेक्ट बनाने की जिम्मेदारी मेरी तो बिल्कुल नहीं है। मुझे अब शांति परफेक्शन से अधिक कीमती मालूम होती है।


 मै अब लोगो की मन खोलकर तारीफ कर देता हूं, ऐसा कर सिर्फ सामनेवाला ही नहीं पर मेरा भी मन प्रफुल्लित हो जाता है।


 कपड़ों पर पड़ी सिलवाते या दाग अब मुझे असहज नहीं महसूस कराती क्योंकि में जान चुका हूं व्यक्तित्व दिखावे से ज्यादा जोर से बोलता है।


 मैं उन लोगों से दूर चला जाता हूं जो मेरी कद्र नहीं करते।  वे शायद मेरी कीमत नहीं जानते, लेकिन मैं जानता हूं।


मुझे अब भी पहले की तरह कभी कभी गुस्सा आता है, कभी कभी में डरता हूं और कभी कभी रो देता हूं। लेकिन अब मैं अपनी भावनाओं से शर्मिंदा नहीं होता क्योंकि में जान गया हूं कि यह मेरी भावनाएं तो है जो मुझे इंसान बनाती हैं।


 80 सालो में मैंने सीखा है कि रिश्ते को तोड़ने की तुलना में अहंकार को छोड़ना बेहतर है।  मेरा अहंकार मुझे दूर रखेगा, लेकिन रिश्तों के साथ मैं कभी अकेला नहीं रहूंगा।


 मै पहले भी जिंदा था मगर अब मैंने हर दिन जीना सीख लिया है।


 मैं सीख चुका हूं कि अपनी खुशी के लिए में ही जिम्मेदार हूं।  खुशी एक चयन है ,आप किसी भी समय खुश रह सकते हैं, बस आपको खुश रहना चुनना है!


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