जिन्न और तीन बहने (जादुई कहानी)

बहोत पहले हरिलाल नाम का एक कबाड़ी था. वह जनकपुर नाम के गांव में रहता था.हरिलाल को तीन बेटियां और एक बेटा था. उसके बेटे का नाम सूरज था, बड़ी बेटी का नाम दुर्गा और छोटी बेटियों का नाम सीता, और गीता था. दुर्गा इन सब में सबसे बड़ी थी मगर दुर्भाग्य से वो इन सब में दिखने में कम सुंदर थी क्योंकि उसका रंग उसकी दोनों बहनों से थोड़ा काला था. सूरज जो अपनी तीनों बहनों को बहुत प्यार करता था, वह दुर्गा को हमेशा समझाता था कि तुम दिखने में बिल्कुल भी बदसूरत नहीं हो. सूरज बातों का दुर्गा पर कोई भी असर नहीं होता था क्योंकि उसे घर में और घर के बाहर के लोगों से उसकी कुरूपता के कारण कई ताने सुनने पड़ते थे. सूरज हमेशा सोचता रहता कि वह ऐसा क्या करें जिससे दुर्गा की सारी परेशानियां और दुख खत्म हो जाए.

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अब दुर्गा बड़ी हो गई थी, उसकी उम्र शादी करने लायक हो गई थी. मगर जब भी उसके घर लड़के वाले उसे देखने आते थे तो वह उसे देखकर उसके बदले उसकी दोनों बहनों से शादी का प्रस्ताव रख देते थे. हीरालाल यह कहकर मना कर देता कि जब तक मेरी बड़ी बेटी का ब्याह नहीं होता तब तक मैं अपनी छोटी बेटियों का ब्याह नहीं करा सकता, वह वहां से लौट जाते . मगर यह बातें दुर्गा के दोनों छोटी बहनों सीता और गीता को जरा भी नहीं भाती थी उन्हें लगता था कि उसकी इस बदसूरत बहन के कारण उनकी शादी कभी नहीं हो पायेगी. इस सोच की वजह से मन ही मन गुस्सा हो जाती और अपनी बड़ी बहन को भला-बुरा सुनाती.


सूरज भी अपनी बड़ी बहन के लिए काफ़ी सोचता रहता और सोच सोचकर दुखी होता था, उसको इस दुख से निकालने के लिए हीरालाल ने उसे अपने काम में शामिल करने की सोची. एक दिन हीरालाल सूरज को बोला कि हमारे जिंदगी में चाहे जितने गम हो मगर हमें अपनी रोजी-रोटी तो चलानी पड़ेगी, तुम एक काम करो शहर में एक बड़े सेठ के यहां से कबाड़ खरीद कर लाओ उन्होंने हमें बुलाया है. हम उससे कुछ पैसे कमाल सकते हैं. सूरज अपने पिता का हुकम मान कर तुरंत काम पर लग गया और शहर कबाड़ इकट्ठा करने के लिए चला गया.

सूरज शहर पहुंचा और सेठ के घर से वह कबाड़ इकट्ठा करने लगा, कबाड़ में उसे एक पुराना सा चिराग मिला.वह थोड़ा मेला था मगर काफी चमक रहा था.उसे लेकर अपने घर की ओर चल दिया रास्ते में चलते चलते उसे एक नदी दिखाई दी. उसने अपने पास रखा हुआ चिराग निकाला और उस पर लगी गंदगी धोने लगा. उसे धोने के लिए रगड़ने लगा तब उस चिराग में से एक जादुई जिन्न बाहर निकला और बोला कि तुमने बहुत सालों बाद मुझे बाहर का नजारा दिखाया है , मैं तुम्हारी कोई तीन इच्छाएं पूरी करूंगा बोलो तुम्हें क्या चाहिए?

सूरज ने थोड़ा सोचा और उसने बोला कि मेरी बड़ी बहन मेरी बाकी दो बहनों के मुकाबले देखने में थोड़ी कम सुंदर है. तो उसको और ज्यादा सुंदर बना दो, उसकी शादी नहीं हो रही है तो उसकी शादी तय करा दो और हमने काफी गरीबी देखी हुई है तो उसकी शादी किसी बड़े अमीर घर में करवा दो. जिन्न को सूरज का अपनी बहन के लिए प्यार देखकर खुशी हुई, उसने कहा अच्छी बात है ऐसा ही होगा यह कहकर वह वापस चिराग में चला गया. सूरज ने उस चिराग को उठाया और अपने घर की ओर चल दिया.

इधर दुर्गा का रूप अचानक से बदल गया वह बहुत सुंदर दिखने लगी! उसका यह बदला हुआ खूबसूरत रूप देखकर उसकी दोनों बहने भी अचंभित हो गई. तब तक सूरज भी घर आ चुका था. जब सीता और गीता म ने दुर्गा के रूपांतरण के बारे में उसे बताया तो सूरज ने सारी बात उन दोनों बहनों को बता दिया कि कैसे उसे चिराग और चिराग में से जिन्न के द्वारा तीन इच्छाएं पूरी करने का मौका मिला. अब रात हो गई थी सूरज अपने कमरे में सोने के लिए चला गया उसने वह चिराग अपनी अलमारी में रख दिया.

सीता और गीता को इस बात की काफी ईर्षा होने लगी कि उसकी बहन जो इतनी बदसूरत दिखती थी अब उनसे भी ज्यादा खूबसूरत दिखने लगी है. उन्हें लगा कि अब उसकी बड़ी बहन की वजह से उनकी और कोई ध्यान नहीं देगा. उन्होंने सोचा कि हम उस चिराग को चुराकर उस जिन्न से सब कुछ पहले जैसा करने के लिए कह देते हैं.

 उन्होंने ऐसा करने के लिए अपने भाई के कमरे में जाकर अलमारी से वह चिराग चुरा लिया. अपने कमरे में ले जाकर उसे रगड़ना चालू किया तब उसमें से वह जिन्न बाहर आया, आधी रात थी तो जीन्न नींद में था. जिन्न को देखकर सीता और गीता भी उत्साहित हो गई और दोनों ने एक साथ ही बोलना शुरू कर दिया ."पहले बड़ी बहन काली थी हम से कम सुंदर थी अब वह गोरी और हम से ज्यादा सुंदर है तो उसे पहले जैसी कर दो, जैसे उसकी पहले शादी नहीं हो रही थी उसको वैसे ही कर दो, हमारी शादी किसी बड़े घर में करवा दो." जिन्न जो नींद में था उसने यह ध्यान से नहीं सुना मगर उसे जितना समझ में आया उसने उसी को उनकी इच्छा मानकर उसे पूरा कर दिया. उसने कहा,"कि ठीक है तुम जैसी तुम्हारी बड़ी बहन थी पहले वैसी हो जाओगे जैसे तुम्हारी बहन की शादी पहले नहीं हो रही थी वैसे तुम्हारी भी नहीं होगी."

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उसने इतना कहा ही था कि दोनों बहने सीता और गीता काली और बदसूरत दिखने लगी. यह सब घटना जब हो रही थी तो दुर्गा यह सारी चीजें छुप कर देख रही थी. अपने आप को बदसूरत देखकर सीता और गीता के पैरों तले से जैसे जमीन निकल गई और वह दोनों फूट-फूट कर रोने लगी.अपनी बहनों को मुश्किल में देखकर दुर्गा से रहा नहीं गया वह तुरंत जिन्न के सामने आई और उसे बिनती करते हुए कहा कि आप इन्हें पहले जैसा कर दो.

जिन्न उसकी बात मान गया और सब कुछ पहले जैसा कर दिया अब तीनों बहन ने सुंदर दिखती थी. अपनी बड़ी बहन का दोनों के प्रति प्रेम देखकर सीता और गीता का मन भी बदल गया. उन्हें अपने आप पर शर्म आई, वह दोनों दुर्गा के पैरों में गिर पड़ी और माफी मांगने लगी. दुर्गा ने उन्हें माफ कर दिया और गले से लगा लिया.
जल्दी ही तीनों बहनों की बड़ी धूमधाम से बड़ा अमीर घरानों में शादी हो गई.

Moral of the story

दोस्तों, इस हिंदी जादुई कहानी से हमें सीखने को मिलता है कि किसी को उसके रंग रूप से जज नहीं करना चाहिए. इंसान की सूरत अच्छी हो उससे ज्यादा जरूरी है उसकी सीरत अच्छी हो यानी कि उसके विचार उसके कर्म अच्छे हो.




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