शिक्षाप्रद बाल कहानी

फ्रेंड्स,आज की जो प्रेरक कहानी(motivational story in Hindi) है उसे पढ़ने के बाद आपका अपनी क्षमताओं के लिए नजरिया बिल्कुल बदल जाएगा.सदियों से ये कहा जाता रहा है कि एक मनुष्य के लिए इस दुनिया में कोई भी काम नामुमकिन नहीं है. मगर आपको कदम कदम पर यह कहने वाले मिल ही जाएंगे कि अरे यह तुम्हारे बस की नहीं है, यह तुम नहीं कर पाओगे,इसे करने की क्षमता तुम्हारे अंदर नहीं है.
ज्ञानवर्धक कहानी बताओ

और हमारा दिमाग बना ही ऐसा है कि वह चाहता है कि हम उस पर कंट्रोल ना रखें बल्कि वह हमारे शरीर पर कंट्रोल करें या फिर दूसरों के विचारों के जरिए हमें कमजोर करें. मगर हम ऐसा नहीं चाहेंगे, हम चाहते हैं कि आप अपने दिमाग के मालिक बनो और उसे अपने हिसाब से काम कराओ और इसलिए हम आपके लिए एक मार्गदर्शन करने वाली बेहतरीन और मनोरंजक कहानी लेकर आए है. कहानी पढ़ लेते हैं.

यह कहानी है एक छोटे से गांव में रहने वाले दो छोटे बच्चों की. उन दोनों छोटे बच्चों में से एक की उम्र थी 10 साल और दूसरे की उम्र थी 6 साल. उन दोनों की दोस्ती के किस्से सारे गांव में प्रचलित थे . वह दोनों इतने पक्के दोस्त थे कि सारा दिन साथ में बिताते. चाहे खेलना हो, पढ़ाई करना हो, खाना खाना हो या कहीं घूमने जाना हो हमेशा एक दूसरे के साथ ही नजर आते .

1 दिन की बात है वह दोनों खेलते खेलते अपने गांव से काफी दूर खेतों की ओर निकल आए. वो दोनों एक जगह पर रुके जहां पर कई सारे फलों के पेड़ थे और एक बड़ा सा कुआ भी था. उन्होंने पेड़ों से फल तोड़ कर खाए और सोचा कि इतनी बढ़िया जगह है तो घर जाने से पहले थोड़ी देर यहां और खेल लिया जाए.

खेलते खेलते कुछ ऐसा हुआ कि जो 10 साल का बच्चा था वह उस बड़े कुएं में गिर गया. जैसे ही वो कुएं में गिरा बचाओ बचाओ पुकारने लगा और मदद मांगने लगा. 6 साल का बच्चा यह देखकर काफी घबरा गया. वह अपनी चारों तरफ नजर दौड़ाने लगा ताकि उसे कोई दिख जाए जिससे वह मदद मांग सकें. मगर उसे दूर-दूर तक कोई भी नजर नहीं आया तो उसने कुछ भी सोचे समझे बिना कुए के पास में रखी रस्सी जिससे की बाल्टी बंधी हुई थी
भाई और अपने दोस्त को बचाने के लिए वह की तरफ फेकी. जैसे ही रस्सी से बंधी बाल्टी का सहारा मिला 10 साल का बच्चा उसे पकड़ के पानी से निकलने के लिए प्रयास करने लगा. दूसरी तरफ 6 साल का बच्चा जो शायद अपने वजन के जितना वजन भी ठीक से उठा नहीं पाता वह पागलों की तरह 10 साल के बच्चे का वजन खींचने लगा और तब तक खींचता रहा जब तक कि वह बाहर नहीं आ गया.

जैसे ही 10 साल का लड़का कुवे से बाहर आया तो 6 साल का लड़का उसके गले से लिपट कर खुशी से रोने लगा जिससे दोनों के कपड़े पूरी तरह मेले हो गए. अब दोनों को इस बात का भी डर था कि जब घर पर लोग पूछेंगे कि क्या हुआ था तो बताना पड़ेगा कि वह गांव से इतना दूर खेलने के लिए आ गए थे और उन्हें डांट भी पड़ेगी
मगर जब वह दोनों गांव पहुंचे और सारा किस्सा बताया तो बिलकुल ही विपरीत हुआ घर वालों ने और लोगों ने उन पर विश्वास ही नहीं किया. लोग यह मानने के लिए तैयार ही नहीं थे कि 6 साल का छोटा सा बच्चा अपने से लगभग दुगना वजन वाले बच्चे को कुएं से निकाल सकता है. लोगों के बार-बार पूछने पर भी जब दोनों बच्चों ने वही कहानी बताई तो लोग गांव के सबसे समझदार बूढ़े आदमी के पास इस समस्या को लेकर गए.

जब लोगों ने उस समझदार आदमी को सारी बात बताई और कहा कि," यह बच्चे झूठ क्यों बोल रहे हैं? हमें समझ में नहीं आ रहा है." तब उस समझदार आदमी ने लोगों से कहा कि,"बच्चे झूठ नहीं बोल रहे हैं , वे भला ऐसा क्यों करने लगे?" तब गांव के लोगों ने पूछा कि," ऐसा कैसे हो सकता है कि 6 साल का बच्चा 10 साल के बच्चे का वजन खींच कर कुएं से बाहर निकाल दें." तब उस समझदार आदमी ने लोगों से कहा कि," बिल्कुल उसी तरह जिस तरह यह दोनों बच्चे बता रहे हैं." लोगों की शंका पूरी तरह खत्म नहीं हुई ये देखकर समझदार आदमी ने समझाते हुए कहा कि,"यह छोटा सा बच्चा इतना मुश्किल काम इसीलिए कर पाया क्योंकि वहां पर उसे ऐसा बताने वाला कोई भी नहीं था कि तू यह नहीं कर सकता!"

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