Best motivational story hindi 2022  || ये कहानी आपको सफल बना सकती है


ये कहानी किसी एक गांव में रहनेवाले मूर्तिकार की हैं, जो बहुत ही सुन्दर मूर्तियाँ बनाता था और इस काम से वो अच्छा जीवन यापन कर पाने लायक कमाता था। 


Best motivational story hindi 2022  || ये कहानी आपको सफल बना सकती है



 कुछ समय बाद उसको एक बेटा हुआ जिसने कम उम्र में ही मूर्तियाँ बनाना शुरू कर दिया था और उसकी मूर्तियाँ भी बहुत सुंदर दिखती थीं।


  मूर्तिकार अपने बेटे की सफलता से काफी खुश था, फिर भी वह अपने बेटे की प्रत्येक मूर्ति में कुछ ना कुछ जरूर निकलता और बेटे को उनके बारे में बताता था।  वह बेटे से कहता, "तुमने अच्छा काम किया है, लेकिन अगली बार इस कमी को दूर करने की कोशिश करो।"


 बेटा भी अपने पिता की बात लिया करता। उसने अपने पिता की सलाह के बाद अपनी हर मूर्तियों में सुधार करना जारी रखा।  नतीजतन, बेटे की मूर्तियाँ दिन प्रतदिन पिता की मूर्तियों से बेहतर होती गईं, और एक समय ऐसा भी आया जब लोग बेटे की मूर्तियों को पिता की मूर्तियों के तुलना में ऊंचे दामों पर खरीदने लगे, जबकि पिता की मूर्तियाँ पहले की तरह ही बिकती रहीं।


 पिताने अभितक अपने बेटे की मूर्तियों में कमियां निकालना बंद नहीं किया था,लेकिन बेटा अब बाप के इस बर्ताव से खुश नहीं था फिर भी वह बिना दिमाग लगाए उन कमियों को स्वीकार कर लेता था, और पिता के सुझावों के अनुसार अपनी मूर्तियों में सुधार करता रहा।


 आखिरकार, एक दिन ऐसा आया जब उसके पिता ने उसकी बनाई मूर्तियों में कमिया निकालनी चाही तो बेटे का धैर्य जवाब दे गया।  बेटे ने कहा, "पिताजी अगर आप इतने श्रेष्ठ मूर्तिकार होते, तो आपकी मूर्तियाँ मेरी मूर्तियों से कम कीमत पर नहीं बिकतीं। मुझे नहीं लगता कि मुझे अब आपकी सलाह की आवश्यकता है। मेरी मूर्तियाँ परफेक्ट हैं।"


 बाप ने यह सुनकर अपने बेटे को सलाह देना बंद कर दिया।  कुछ महीने बित गए, बेटा खुश था, लेकिन फिर उसे एहसास हुआ कि उसकी मूर्तियों की अब उतनी तारीफ नहीं की जाती जितनी पहले की जाती थी, और अब उसकी मूर्तियों की कीमते भी बढ़ना बंद हो गई हैं।


 पहले तो उसे कुछ समझ नहीं आया, लेकिन फिर वह अपने पिता के पास गया और उनसे मदद करने को कहा।  पिता ने बड़े शांति से बेटे की बात सुनी, जैसे उन्हें पहले से ही पता था कि ऐसा दिन आएगा।बाप का चेहरा पढ़ बेटे ने भी यह महसूस किया और पूछा, "क्या आप पहले से जानते थे कि ऐसा कुछ होने वाला था?"


 पिता ने उत्तर दिया, "हां, मैं भी कभी इं परिस्थितियों से गुजर चुका हूं।"  बेटे ने कहा, "फिर आपको मुझे ये तभी बता देना चाहिए था।"


 पिता ने उत्तर दिया, " शायद तब तुम मेरी बात नहीं समझ पाते। मै ए भलीभांति जानता हूं और मानता भी हूं कि में मूर्ति बनाने की कला में तुमसे ज्यादा बेहतर नहीं हूं। ऐसा भी हो सकता हैं कि मूर्तियों के बारे में मेरी सलाह गलत हो, और ऐसा नहीं है कि की सिर्फ मेरी सलाह से तुम्हारी मूर्तियाँ बेहतर हो गईं। लेकिन जब मैंने तुम्हे तुम्हारी बनाई मूर्तियों में खामियां दिखाईं, तो तुमने जो बनाया था उससे तुम संतुष्ट नहीं थे। फिर तुम्हीं ने खुद को बेहतर बनाने की कोशिश की, और उस प्रयास ने तुम्हारी मूर्तियों को बेहतर बनाया और परिणामस्वरूप तुम सफल हुए। 


लेकिन यह भी उतना ही सच है कि जिस दिन से तुम्हें लगा कि अब तुम्हारे काम में सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है, तुम्हारा विकास रुक गया। लोग हमेशा तुमसे अधिक की उम्मीद करते हैं, और इसलिए अब तुम्हे न तो अपने काम के लिए ज्यादा सराहना मिलती है और न ही इसके लिए ज्यादा पैसा मिलते है।"


 बेटा कुछ देर चुप रहा, फिर उसने पूछा, "तो अब मैं क्या करूँ?"


 बेटे के सवाल के जवाब में पिता ने एक छोटा लेकिन अमूल्य जवाब दिया, "असंतुष्ट होना सीखो, विश्वास करो कि सुधार और बेहतर बनने के लिए हमेशा जगह है। यह एक बात तुम्हें भविष्य में निरंतर प्रगति करने के लिए हमेशा प्रेरित करेगी और हमेशा सुधार करती रहेगी,तुम्हे पहले से ज्यादा बेहतर बनाती रहेगी।"


मोटिवेशनल कहानी की सीख


 पूर्णता(perfection)  का भ्रम, यह विचार कि कोई गलती न करना संभव है, एक मिथक है।  प्रामाणिक प्रदर्शन, सुझाव और आलोचना दोनों को समान रूप से सुनने से आते हैं।  यही प्रगति का एकमात्र मार्ग है।


 बिना क्रोध या दुख के आलोचना को गंभीरता से लें।  इसे अपने आप को सुधारने के लिए उपयोग करें, और इसका स्वागत करें।


दोस्तों, आपको यह जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी कैसी लगी हमें कमेंट में जरूर बताइए और आप हमारे ब्लॉग पर ऐसी कई बेहतरीन कहानियां पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं

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